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Channel: मिरचैया पलार
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मैं भी कुछ निजी अनुभव साझा करने को ....

मैं भी कुछ निजी अनुभव साझा करने को ब्लॉग की दुनिया में कदम रख रहा हूँ ... आप सब का सहयोग मिलेगा, ऐसा विश्वास है ....

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उस सूखती नदी मिरचैया की याद में...

जब कालिकापुर में था तब हमारे पास सुकून के पल ज़्यादा थे. कलकल-छलछल बहती नदी मिरचैया मेरी प्रेमिका-सी थी और वह पलार हमारा अन्तरंग संसार जहाँ हम हर तरह से मस्त अनौपचारिक जीवन जीते थे. अभावों से भरा जीवन...

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हंस की रजत जयन्ती और मेरे नौ साल...

तब मैं लगभग अट्ठाईस साल का था. दो साल पहले छब्बीस की उम्र में कालिकापुर छोड़ पत्रकारिता में रोज़ी-रोटी के ठिकाने ढूंढते मैं दिल्ली आया था और कुछ छिटपुट नौकरियों के बाद डेढ़ साल "कुबेर टाइम्स"में चाकरी...

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सम्मान तो प्रतीकात्मक और भावनात्मक होता है...

कल हंस का रजत जयन्ती आयोजन था. उसमें एक सत्र सहयोगिओं के सम्मान का भी था. कल ही राजेंद्र जी का इस आसंग फोन आया. समय से सूचना ना होने के कारण इस आयोजन में ना जा पाया इसका अफ़सोस है. राजेंद्र जी ने सात-आठ...

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सनगोह की याद और मिरचैया के लिए मेघ से प्रार्थना

मालूम हुआ कि पिछले कुछ दिनों से मिरचैया पलार क्षेत्र में खूब बारिस हो रही है. निश्चय ही अब भी थोड़े हरे कास बचे होंगे जो इस बरसात में पुराने दिनों के रंग भरते होंगे. लेकिन खैरों का वो विशाल वन नहीं...

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अशांत सांप और मिरचैया पलार की शान्ति

तीस-पैंतीस साल पहले कालिकापुर से लगा मिरचैया पलार ही मेरा संसार था. तब इस पलार पर जहाँ तक नज़र जाती, दूर-दूर तक फैला विशाल खैरबन्ना ही नज़र आता था. कहीं-कहीं साहुड़, बबूल, नीम, जलेबी और झरबेरी जैसे कुछ...

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अनुभव और अनुभूति पर बेदखली का संकट

सनगोह और सांप के बाद आप अनुमान कर रहे होंगे कि इस बार मैं किस जानवर के प्रसंग अपनी याद साझा करने आउंगा... लेकिन इस बार अनुभव से ज़रा दूर अनुभूति के कुछ प्रसंग यादों में झिलमिलाते आ रहे हैं.यूं हमने...

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एक गाँव के दायरे से कुछ सांस्कृतिक चिंताएँ

जहाँ की धूल, मिट्टी, पानी और आबोहवा में खेलते-धूपते बड़ा हुआ वहाँ आज खुद को मैं अजनबी की तरह भौंचक्क और असहाय पाता हूँ। समझ में ही नहीं आता कि चालीस साल पहले मिथिलांचल के जिस कोसी क्षेत्र में मेरा जन्म...

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एक चरवाहे का सफरनामा : एक

धान के झुके शीशों से सूरज की पहली किरण के साथ टपकती हैं ओस की बूँदें। गेहूँ के शिशु किलकारी के सन्देशे देते अपनी जड़भर पृथ्वी को गीला करते हैं। खेसारी के गद्दे हरी-भरी कुँवारी दूबों के नर्म-नर्म दल से...

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एक चरवाहे का सफरनामा : दो

            दोस्तो! मैं पहले ही बता दूँ कि मेरे पास अपना लगभग कुछ नहीं है!यहाँ बताने लायक जो कुछ है, उस चरवाहे की देन है। मिरचैया पलार की जो भी कथा सुना रहा हूँ, वह उसी चरवाहे की अनुभव-स्मृति से.......

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एक चरवाहे का सफरनामा : तीन

       दरअसल तब तकउसने उससे बेहतर जिन्दगी की तस्वीर भी नहीं देखी थी, स्वाद चखने-जानने या लालायित होने की बात ही दूर! घर में अगर किसी चीज की दिक्कत होती, तो भी बाहर कहीं जाहिर न करने की ताकीद उसे...

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एक चरवाहे का सफरनामा : चार

आगे के सफरमें मैं अपना कर्ता-कर्म, आपादान-सम्बोधन सबकुछ खुद था।            कुछ समय आवारगी में गुजरे। फिर सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े, दुनिया-जहान देखे, कुछ अलग-अलग तरह के लोगों से मुठभेड़ें...

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दास्तान एक बस्ती की जो उजड़ गई..

मेरा घर मिरचैया पलार से पूरब लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर था जो सवर्णों की बस्ती थी और मिसरान कहलाती थी! अगल-बगल झापट्टी, ठकुरपट्टी, यादवटोल आदि जैसी बस्तियां थीं! ये बस्तियां कोसी की अनेक कटान के कारण...

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वह भी कोई देस है महराज

'वह भी कोई देस है महराज’ हिंदी के यात्रा-संस्मरणों में अपने ढंग का पहला और अद्भुत वृत्तांत है। सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मसलों पर लिखने वाले पत्रकार अनिल यादव का यह यात्रा-वृत्तांत...

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अंतिका प्रकशन 35 नई किताबों के साथ अब आपको पढने को देगी लगभग सबा सौ पुस्तकें....

अंतिका प्रकशन  35 नई किताबों के साथ अब आपको पढने को देगी लगभग सबा सौ पुस्तकें....20वाँ विश्व पुस्तक मेला बीत गया... आप इसमें आए और अंतिका प्रकाशन की किताबों के साथ अपनापे और प्रेम के साथ कुछ  यादगार पल...

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Article 7

कथाकार सत्यनारायण पटेल के कैमरे मे हम दोनो के फुर्सत का एक पल...

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यात्रा साहित्य पर केंद्रित तीन किताबों का लोकार्पण

दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले के पांचवें दिन, बुधवार २९ फरवरी 2012 को यात्रा साहित्य पर केंद्रित तीन यादगार और महत्वपूर्ण किताबों का लोकार्पण एक ही मंच पर एक साथ हुआ। लोकार्पण के...

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बया का नया अंक

बया का नया अंक आ गया है... कुछ अपरिहार्य कारणों से यह अंक काफी बिलम्ब से आ पाया इसका खेद है....इस अंक में प्रस्तुत है : वरिष्ठ कथाकार-उपन्यासकार बटरोही का नैनीताल पर केन्द्रित आत्‍मपरक उपन्‍यास...

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अरुण प्रकाश

जन्म : 22फरवरी1948में बेगूसराय (बिहार) जिला के निपनियां गाँव में।शिक्षा : स्नातक प्रबंध विज्ञान और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा।प्रकाशित कृतियाँ :कहानी-संग्रह : भैया एक्सप्रेस, जलप्रांतर, मँझधार...

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विचारक लेखक थे अरुण प्रकाश

सारंग कुमारनई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)| जन-सरोकारों से जुड़े सातवें दशक के महत्वपूर्ण कथाकारों में से एक अरुण प्रकाश के हाल ही में हुए आकस्मिक निधन से साहित्य जगत शोकाकुल है। राजधानी दिल्ली में मौजूद...

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जल-प्रान्तर

एक यादगार कहानी अरुण प्रकाश दूर से मंदिर दिखाई देता था।चारों तरफ फैले अछोर पानी के बीच घिरा शिव मंदिर। पानी इतना गहरा था कि हवा के थपेड़े से लहरें भी कम ही उठ पाती थीं। हवा पूरी तेज़ी से फेंके गए गेंद...

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अरुण प्रकाश : अंतरात्मा बचाने को खूबसूरत जिद्द पालने के शौकीन

गौरीनाथ यूं ये जिद्द/ बड़ी खराब है/पर यही, /यही तो ज़िंदगी का बजता हुआ रबाब है...अरुण प्रकाश अद्भुत जीवट इंसान थे. उनके पास कुछ बहुत खूबसूरत ज़िद्दें थीं. जिनके पास कोई जिद्द न हो वह और कुछ भी हो सकता...

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दाग (उपन्‍यास) : गौरीनाथ

बहुत दिन भेल, एक्कैस वर्ष, मातृभाषाक प्रति अनुरागक एक टा विशेष क्षण मे मैथिली मे लिखबाक लेल उन्मुख भेल रही—1991 मे— एहि एक्कैस वर्ष मे लगभग दू गोट कथा-संग्रह जोगर कथा आ दू गोट वैचारिक (आलोचनात्मक,...

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विश्व पुस्तक मेला के अवसर पर जनवरी, 2016 में अंतिका प्रकाशन से जारी हो रहीं...

  जो मर कर भी अमर हैं (जीवनी-संस्मरण) : स. सुरेश सलिल क्रांतिकारी शहिदों की जीवनी और संस्मरण की किताब. करतार सिंह, भगत सिंह, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक, चन्द्रशेखर आज़ाद सहित एक दर्जन से ज़्यादा...

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यात्रा-डायरी : मोखाक माटि : गौरीनाथ

कवि कथाकार आ अग्रज मित्र केदार काननक आग्रह पर लिखल हमर एक टा यात्रा-डायरी 'मोखाक माटि’ शीर्षक सँ वर्ष 2017 मे प्रकाशित 'भारती मंडन’क ताजा अंक (अंक : 13, नव क्रमांक : 1) मे भारी आ भ्रामक गड़बड़ी संग...

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